कुछ मेरी भी

Saturday, October 15, 2005

कुछ और


है जिन्दगी खूब अच्छी, कुछ बेहतरीन ये और होगी
है बहुत खूबसूरत ये, कुछ हसीन ये और होगी
कुछ देर तक मैने सोचा, एक रंग भरी तस्वीर बनाकर
कुछ कोशिश मैं और करुं, कुछ रंगीन ये और होगी
आसमां छू लेने की, ख्वाहिश भी मुमकिन है मगर
कुछ ख्वाहिश ये और बढ़े, कुछ मुमकिन ये और होगी

नमस्कार, तो यहाँ से होती है शुरूआत, मेरे सफर की,
हिन्दी चिठ्ठा जगत मेंकोशिश करुंगा लिखता रहुँ हमेशा..
आपके लिये, सबके लियेफिर मिलते हैं

विदा

3 Comments:

Blogger प्रदीप शर्मा "आकाश" said...

This comment has been removed by a blog administrator.

9:35 AM  
Blogger पंकज बेंगाणी said...

स्वागत है प्रदिपजी. लिजीए आप भी आपणु अमदावाद से हैं, हम भी. सारु छे. आवजो.

1:19 AM  
Blogger yuva said...

enjoyed your blog. do write to me : yuvany@aol.com

8:53 AM  

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