कुछ मेरी भी

Saturday, October 15, 2005

कुछ और


है जिन्दगी खूब अच्छी, कुछ बेहतरीन ये और होगी
है बहुत खूबसूरत ये, कुछ हसीन ये और होगी
कुछ देर तक मैने सोचा, एक रंग भरी तस्वीर बनाकर
कुछ कोशिश मैं और करुं, कुछ रंगीन ये और होगी
आसमां छू लेने की, ख्वाहिश भी मुमकिन है मगर
कुछ ख्वाहिश ये और बढ़े, कुछ मुमकिन ये और होगी

नमस्कार, तो यहाँ से होती है शुरूआत, मेरे सफर की,
हिन्दी Blog जगत मेंकोशिश करुंगा लिखता रहुँ हमेशा..
आपके लिये, सबके लियेफिर मिलते हैं

विदा